खाली बैठा हुआ था तो सोचा चलो एक पुराने दोस्त के लिए एक नयी कविता हो जाये ….. जिसको दिल पर लगे वो Comment जरुर करे …. लेकिन कमेन्ट न करें ,,,,
ऐ मेरे दोस्त तो आखिर चला ही गया मुझे अकेला छोड़कर
काश साथ बैठ कर एक कटिंग ही पी लेते , तो अफ़सोस न होता
मैंने तो सोचा था की तुम वही हो जो कम से कम मेरा साथ तो निभायोगे
पर मुझे क्या पता था की तुम खुद अपना काम मुझसे ही निकलवाओगे
क्या सोचा था तुमने की में टूट जाऊँगा ….. मर जाऊंगा
नहीं दोस्त … में नहीं टुटा ….. नहीं मरा …..
मैं लड़ा आखिरी सांस तक लेकिन तुझपे कोई आचं न आने दी …
तूने मेरे पेट पर लात मारी और फिर भी नहीं मरा ……
तेरी खट्टी दोस्ती को देखकर ऐ मेरे दोस्त केवल मेरा दिल यही बोलता है ..
काश मेरी जिन्दगी भी शतरंज की तरह होती …. कम से कम कोई अपना तो न मारता ..
एक पुराने हमदर्द दोस्त को समर्पित ………….. आदेश की कलम से
———–
डिस्क्लेमर : कोई भी अगर इस पोस्ट को बिना परमीशन के copy पेस्ट करेगा उस पर 5000 रूपये का जुर्माना लगेगा और साथ में एक कटिंग भी पिलानी पड़ेगी =D